मोबाइल रेडियेशन क्या सच में खतरनाक होता है?

टेलीकम्युनिकेशन में माइक्रोवेव का उपयोग होता है जो कि बहुत कम फ्रीक्वेंसी का रेडिएशन है। और रेडिएशन शब्द से डरो नहीं, जिस प्रकाश में हम देख पा रहे वो भी रेडिएशन ही है। जिसकी जितनी ज्यादा फ्रीक्वेंसी उसकी किसी वस्तु के आर पार जाने की उतनी ही ज्यादा काबिलियत। जैसे गामा रे.. आर पार चली जाती बड़ी दीवारों के.. X-रे हमारे शरीर के आर पार जा सकती, लेकिन हड्डियों के नहीं(मेडिकल फील्ड में कम फ्रीक्वेंसी की X-रे उपयोग होती.. थोडी ज्यादा की हो तो वो हड्डी के आर पार भी हो जाएं). अब ये जो स्पेक्ट्रम है इसमें क्रम से देखो X-रे के बाद अल्ट्रावायलेट आती है.. जो स्कीन को नुकसान पहुंचाती जिससे स्किन कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती। फिर अपना प्रकाश जिससे हम देख पाते। इसके बाद इंफ्रारेड जो किसी ऊष्मा(Heat) को विकिरण द्वारा ट्रांसमिट करता है.. और इसी के कारण सूरज की गर्मी हम तक आ पाती और तब जाकर माइक्रोवेव का नंबर आता जो कि कहीं से कहीं तक शरीर को भेदकर नुकसान पहुंचाने की क्षमता नहीं रखती.. इसकी वेवलेंथ ज्यादा होती तो ये छोटे से छोटे छेद में से भी निकल सकती और कितने ही टेढ़े मेढे रस्ते हो.. आसानी से टकराकर मुड़ जाती.. इसीलिए ही तो मोबाईल नेटवर्क बड़ी आसानी से बंद कमरे में भी मिल जाता।


अब स्पेक्ट्रम को देखकर बताओ कि कौनसा रेडिएशन ज्यादा नुकसान कर सकता Visible Light या माइक्रोवेव वाला मोबाईल रेडिएशन? 

और एक बात हमारा प्यारा सूरज तारा हमें स्पेक्ट्रम में मौजूद सारे के सारे रेडिएशन देता है.. लेकिन पृथ्वी मां अपने वायुमंडल में ज्यादा फ्रीक्वेंसी की किरणों को आयनोजिंग करवा के रोक लेती है.. और कम फ्रीक्वेंसी की तो पृथ्वी तक आ ही नहीं पाती.. बचता है अपना विजिबल लाइट, इंफ्रारेड और थोड़ा बहुत अल्ट्रावायलेट। स्पेक्ट्रम में एक बात और ध्यान देना कि ये जो अलग अलग टाइप का रेडियेशन है ये सभी एक दुसरे पर ओवरलैप है, किसी को भी अगली या पिछली से अलग करने की कोई लकीर नहीं है।

ये सब बातें किसी भी साइंस बैकग्राउंड के लोगों से पूछो बहुत ही कॉमन है.. 11th, 12th फिजिक्स की किताब खोलो ये सब आसानी से मिल जाएगा।
मतलब कि मोबाइल रेडियेशन से नुकसान ना होना बहुत ही साधारण लॉजिक है.. तो हमें ये सिद्ध करने की जरुरत नहीं कि मोबाइल रेडिएशन सुरक्षित है। बल्कि जो मोबाइल रेडियेशन से नुकसान होने वाले आधुनिक दरियाकनूसी बातें करते है उन्हें ज़रूरत है कि वो सिद्ध करें और बताएं कि कैसे इस मोबाइल रेडिएशन से शरीर को कोई नुकसान होता है।

सार - अंधविश्वास सिर्फ मजहबों में नहीं, विज्ञान में भी होता है।

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